वाराणसी में दिवाली के अवसर पर मुस्लिम महिलाओं द्वारा भगवान श्रीराम की आरती करना धार्मिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता का एक अनुपम उदाहरण है। यह परंपरा 2006 से चल रही है, जब मुस्लिम समुदाय की कुछ महिलाओं ने समाज में समरसता और भाईचारे को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह पहल शुरू की थी। इस आयोजन में हर साल काशी की मुस्लिम महिलाएं एकत्र होती हैं और भगवान श्रीराम की आरती करके देश में सुख-शांति और आपसी भाईचारे की प्रार्थना करती हैं।
यह आरती समारोह धार्मिक एकता के प्रतीक के रूप में उभर कर सामने आया है। धार्मिक भिन्नताओं के बावजूद, वाराणसी की ये महिलाएं अपने इस कृत्य से साबित करती हैं कि असली धर्म इंसानियत और प्रेम है। भगवान श्रीराम की आरती में सम्मिलित होकर वे हिंदू धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाती हैं, साथ ही साथ विभिन्न धर्मों के प्रति सम्मान की भावना को भी प्रकट करती हैं।
इस आयोजन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य समाज में सांप्रदायिक तनाव को कम करना और सभी समुदायों को जोड़ने का प्रयास करना है। मुस्लिम महिलाओं की इस पहल से समाज में एक सकारात्मक संदेश जाता है, कि भारत की असली ताकत उसकी विविधता में है और यही विविधता हमारे देश को एकता के सूत्र में पिरोती है। वाराणसी, जो कि धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, में यह आयोजन एक विशेष स्थान रखता है।
हर साल दीवाली पर इस तरह का आयोजन देशवासियों को यह याद दिलाता है कि विभिन्न आस्थाओं के बावजूद हम सभी भारतीय हैं और एक-दूसरे के धर्म और संस्कृति का सम्मान करना ही असली भारतीयता है।
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