मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश के गांव अब केवल खेती तक सीमित नहीं रहे। बदलते समय के साथ ग्रामीण भारत कृषि से उद्यमिता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इस परिवर्तन की अगुवाई महिलाएं और युवा कर रहे हैं, जो गांवों की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रहे हैं।

महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भरता की मिसाल
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से अब प्रदेश की 60 लाख से अधिक महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ चुकी हैं। वे दुग्ध उत्पादन, मशरूम, मधुमक्खी पालन, हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण और बायोफर्टिलाइजर निर्माण जैसे क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं।
मुकेश पांडे “सौरभ” का कहना है “महिलाएं अब परिवार की आर्थिक प्रबंधक बन चुकी हैं। वे निर्णय ले रही हैं, निवेश कर रही हैं और स्थानीय बाजारों को दिशा दे रही हैं।” इन पहलों से ग्रामीण समाज में आत्मविश्वास और समानता की भावना मजबूत हुई है।
युवाओं में नवाचार और आत्मविश्वास की लहर
उत्तर प्रदेश की 34% आबादी 15 से 35 वर्ष के युवाओं की है। यह युवा वर्ग तकनीकी दृष्टि से सक्षम है और नई सोच के साथ ग्रामीण विकास में योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, स्टार्टअप नीति 2020 और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम जैसी योजनाओं के तहत हजारों युवाओं ने अपने गांवों में उद्योग शुरू किए हैं।
वे अब एग्री-बिजनेस, डिजिटल सर्विस, ई-कॉमर्स, ग्रामीण पर्यटन और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में नए अवसर तलाश रहे हैं। “अब युवा नौकरी खोजने नहीं, नौकरी देने वाले बन रहे हैं, यही ग्रामीण क्रांति की असली शुरुआत है,” पांडे कहते हैं।
गांवों में बढ़ रहा है गैर-कृषि उद्योगों का प्रभाव
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) योजना ने उत्तर प्रदेश के स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाई है। मिर्जापुर का कालीन, भदोही की दरी, ललितपुर की दाल और जौनपुर का इत्र अब अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच चुके हैं। राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अनुसार, बीते तीन वर्षों में गैर-कृषि क्षेत्र में ग्रामीण रोजगार में 18% की वृद्धि हुई है।
पलायन में कमी, गांवों में बढ़ती आत्मनिर्भरता
पूर्वांचल के 12 जिलों के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में स्थानीय स्वरोजगार के अवसरों में 22% की वृद्धि हुई है।
अब ग्रामीण युवा महानगरों की ओर पलायन करने के बजाय अपने गांव में ही रोजगार सृजन कर रहे हैं।
गांव – आत्मनिर्भर भारत की प्रयोगशाला
श्री पांडे कहते हैं “गांवों का भविष्य अब केवल खेतों में नहीं, बल्कि कौशल, नवाचार और उद्यमिता में निहित है। जब महिला, युवा और उद्यमिता एक साथ चलें तभी आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होता है।”
उनका मानना है कि यदि सरकार, वित्तीय संस्थान और समाज मिलकर प्रयास करें तो उत्तर प्रदेश का हर गांव एक छोटा औद्योगिक केंद्र बन सकता है, जहां आत्मनिर्भरता, स्वाभिमान और विकास एक साथ पनपेंगे।
रिपोर्ट : मुकेश पांडे “सौरभ”, सीईओ – नवचेतना एफपीओ, मिर्जापुर








