वाराणसी: रामेश्वर क्षेत्र के बरेमा गांव स्थित बिना मानक के चल रहे ईंट-भट्टों पर जिला प्रशासन के निर्देश के एसडीएम शिवानी सिंह के नेतृत्व में 2012 के गाइडलाइन के अनुसार प्रदूषण का लाइसेंस नहीं होने पर प्रशासन का चाबुक चलना शुरू हो गया है।

इसी क्रम में शनिवार को एसडीएम राजातालाब शिवानी सिंह के नेतृत्व में खनन अधिकारी प्रशांत, दिनेश मोदी, प्रदूषण विभाग के यूपीपीसीबी अवर अभियंता अतुल, नायब तहसीलदार दीपाली मौर्य, एसीपी अजय श्रीवास्तव, एचएसओ दुर्गा सिंह, जिला पंचायत विभाग व काफी संख्या में पुलिस बल के साथ ईंट-भट्ठों पर पहुंचकर दमकल के द्वारा पानी का छिड़काव कराया गया।
प्रशासन के इस कार्रवाई से भट्ठा संचालकों में अफरा-तफरी मच गई। भट्ठा संचालकों ने कहा कि प्रशासन के इस रवैया से प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में के संचालित ईंट भट्ठा संचालक काफी मर्माहत है। उनका कहना है कि प्रशासन शुरू में ही भट्ठा संचालकों को क्यों नहीं रोका ? अब एक महीने का मात्र सीजन रह गया है। प्रशासन के द्वारा इस समय कार्यवाही करने से लाखों करोड़ों की क्षति होगी, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। साथ ही मजदूर भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे।
ऐसी स्थिति में प्रशासन एक माह का मोहलत दे। इसके बाद प्रशासन का जैसा निर्देश होगा उस निर्देश का हम भट्ठा संचालक पालन करेंगे। भट्ठा संचालकों ने 25 अप्रैल को लखनऊ में प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ से मिलकर अपनी समस्याओं को रखने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि “ईंट निर्माता एसोसिएशन” के अध्यक्ष हरिशंकर सिंह मुन्ना के नेतृत्व में संघ का एक प्रतिनिधिमंडल विगत महीने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, वन पर्यावरण मंत्री डा.अरुण सक्सेना व उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डा. आर.पी सिंह से मिलकर अपनी समस्याओं को रखा था।
भट्ठा संचालकों के समस्या को देखते हुए मंत्रियों ने भट्ठा संचालकों के खिलाफ प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में ईंट भट्ठा व्यापारियों को प्रशासन कत्तई परेशान नहीं करेगी। सरकार के इस आश्वासन पर ईंट भट्ठा संचालक संतुष्ट हों गए थे। लेकिन सरकार के इस निर्देश को जिला प्रशासन ताक पर रखकर कार्रवाई कर भट्ठा संचालकों को मानसिक, आर्थिक, शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रही है।
कार्रवाई के मुख्य बिंदु
- अवैध ईंट भट्ठों का संचालन।
- बिना अनुमति और नियमों का उल्लंघन कर चल रहे थे।
- पर्यावरण और नियमों का उल्लंघन।
- इन भट्ठों से पर्यावरण को नुकसान हो रहा था और नियमों का उल्लंघन हो रहा था।

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