
वाराणसी: पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के मंडल रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में मंडल कार्यालय के भारतेन्दु सभागार कक्ष में बाबा साहब डाॅ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती मनाई गई। रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का शुभारंभ बाबा साहब के चित्र पर मालार्पण कर किया। इस अवसर पर अपर मंडल रेल प्रबंधक (इन्फ्रा) रोशन लाल यादव, अपर मंडल रेल प्रबंधक (परिचालन) राजेश कुमार सिंह, वरिष्ठ मंडल इंजीनियर(समन्वय) राकेश रंजन, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक शेख रहमान मौजूद रहे.

इसके साथ ही मंडल वित्त प्रबंधक राजेश कुमार, वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर(सामान्य) पंकज केशरवानी, वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर(कर्षण) आर एन सिंह, वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर (C&W) अभिनव पाठक, वरिष्ठ मंडल सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर रजत प्रिय, वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त एस रामाकृष्णन, वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर(Enhm) अभिषेक राय, वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी बलेंद्र पाल तथा कार्मिक विभाग के निरीक्षकों समेत अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी एशोसिएशन के अध्यक्ष, ओ.बी.सी. यूनियन के अध्यक्ष, आल इण्डिया मेंस कांग्रेस के अध्यक्ष एवं रेल कर्मचारियों ने बाबा साहब के चित्र पर पुष्पांजलि समर्पित कर श्रद्धांजली दी।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में मंडल रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर को भारतीय संविधान निर्माता के साथ ही बोधिसत्व एवं विश्व रत्न के तौर भी जाना जाता है। बाबा साहब जैसी प्रतिभा और व्यक्तित्व निश्चित रूप से ईश्वरीय कृपा से ही समाज को मिलते है जो न केवल समाज की दिशा बदलते है बल्कि उसका भविष्य भी निर्धारित करते हैं। बाबा साहब को अपने जीवन काल में ही बोधिसत्व की उपाधि भी मिल गयी थी जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है, यह दिखता है की बाबा साहब के पास न केवल ज्ञान था बल्कि कर्म भी था जिसके साथ उन्होंने समता बनाये रखी थी। जब ज्ञान और कर्म का समय स्थापित हो जाता है तो ही बोधिसत्व की प्राप्ति होती है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए मंडल कार्मिक अधिकारी(इंचार्ज) अभिनव कुमार सिंह ने कहा कि बाबा साहब ऐसे युगपुरुष थे, जिनके विचारों और कर्मों ने न केवल भारत के सामाजिक ढांचे को चुनौती दी, बल्कि एक नए भारत की नींव रखी – मैं बात कर रहा हूँ बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की, जो एक विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, दार्शनिक, समाजसुधारक और संविधान निर्माता के रूप में भारतीय इतिहास में अमिट स्थान रखते हैं। बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हुआ था। उनका प्रारंभिक जीवन सामाजिक भेदभाव, बहिष्कार और कठिनाइयों से परिपूर्ण था, किन्तु उन्होंने इन सभी को अपनी चेतना का केंद्र बनाया और शिक्षा को परिवर्तन का साधन ।
उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से स्नातक, फिर कोलंबिया विश्वविद्यालय से एम.ए. व पीएच.डी., और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डी. एससी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। उनके अध्ययन का क्षेत्र सीमित नहीं था उन्होंने अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, विधि और दर्शनशास्त्र में गहन अनुसंधान किया। उनका मानना था कि सामाजिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता अधूरी है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जब तक समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को न्याय, सम्मान और अवसर प्राप्त नहीं होता, तब तक स्वतंत्रता एक मिथ्या है।
इस अवसर पर अनुसूचित जाति/जनजाति एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार,/ओ.बी.सी. एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.एन. यादव, आल इण्डिया मेन्स कान्ग्रेस के अध्यक्ष मनोज कुमार,अन्य कर्मचारी एशोसिएशन के सदस्यों / पदाधिकारियों एवं रेल कर्मचारियों ने भी कार्यक्रम में बाबा साहेब के व्यक्तित्व,विचारधारा एवं सामाजिक न्याय के लिए खड़े होने की प्रेरणा पर अपने विचार व्यक्त किये।
निबंध प्रतियोगिता में चयनितों को किया सम्मानित
इसी क्रम में दिनांक 09 अप्रैल 2025 को भारतेन्दु सभागार कक्ष अंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित “सामाजिक न्याय के वास्तुकार” विषयक निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले हित निरीक्षक शिवम कुमार, द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रवर लिपिक सुरेन्द्र यादव एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले तकनीशियन हैप्पी चौहान को क्रमश: रुपये 2000/1500/ 1000 रुपये का नगद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र मंडल रेल प्रबंधक द्वारा प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन मंडल कार्मिक अधिकारी (इंचार्ज)अभिनव कुमार सिंह ने किया।



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