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वाराणसी: मोजाम्बिक की पटरियों पर दौड़ेगा ‘मेक इन इंडिया’ इंजन, बरेका में भारत-आफ्रीका सहयोग को नई ऊंचाई

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वाराणसी: बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने एक बार फिर अपनी तकनीकी श्रेष्ठता और वैश्विक इंजीनियरिंग क्षमता का लोहा मनवाया है। बरेका द्वारा निर्मित 3300 हॉर्स पावर क्षमता वाले अत्याधुनिक केप गेज डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का पहला बैच सफलतापूर्वक मोजाम्बिक को निर्यात कर दिया गया है।

यह निर्यात महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह के नेतृत्व में संपन्न हुआ है, जिन्होंने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बरेका के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई दी।

पहले भी मिली थी सफलता, अब मिला बड़ा अनुबंध

वर्ष 2021-22 और 2022-23 में बरेका ने मोजाम्बिक की रेलवे कंपनी सीएफएम को 6 डीजल-इंजन (3000 HP AC-AC) की आपूर्ति की थी, जो वहां सफलतापूर्वक परिचालन में हैं। इन इंजनों के शानदार प्रदर्शन के आधार पर मोजाम्बिक ने एक बार फिर भारत की ओर रुख किया है।

अब बरेका को 10 नए 3300 HP डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव बनाने का अनुबंध मिला है, जिसे मेसर्स RITES के माध्यम से निष्पादित किया जा रहा है। इनमें से पहले दो इंजनों का निर्माण कार्य पूर्ण कर जून 2025 में रवाना कर दिया गया, जबकि शेष 8 इंजन दिसंबर 2025 तक भेजे जाने की योजना है।

तकनीकी रूप से उन्नत, चालक सुविधाओं से लैस इंजन

बरेका द्वारा निर्मित ये इंजन AC-AC ट्रैक्शन तकनीक से युक्त हैं और 1067 मिमी केप गेज पर 100 किमी प्रति घंटे की गति से चलने में सक्षम हैं। इन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से लैस किया गया है, जिनमें रेफ्रिजरेटर, हॉट प्लेट, मोबाइल होल्डर, सौंदर्यबोध से युक्त कैब डिजाइन, शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। ये सुविधाएं चालक की कार्य स्थितियों को बेहतर बनाती हैं और कार्यस्थल को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रस्तुत करती हैं।

‘मेक इन इंडिया’ की वैश्विक उड़ान

बरेका का यह नया निर्यात भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया – मेक फॉर द वर्ल्ड’ मिशन को मजबूती प्रदान करता है। यह उपलब्धि भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक साझेदारी को नई ऊंचाई देती है।

10,000 से अधिक लोकोमोटिवों का निर्माण

गौरतलब है कि बरेका की स्थापना 23 अप्रैल 1956 को हुई थी और तब से यह इकाई भारतीय रेलवे, इस्पात संयंत्रों, खानों, बंदरगाहों और निर्यात के लिए अब तक 10,000 से अधिक इंजन बना चुकी है।

बरेका ने 1976 में तंजानिया को पहला इंजन निर्यात किया था। इसके बाद वियतनाम, माली, सेनेगल, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, सूडान और अब मोजाम्बिक जैसे देशों को सफलतापूर्वक इंजन भेजे जा चुके हैं।

Ujala Sanchar
Author: Ujala Sanchar

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