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विकसित कृषि संकल्प अभियान: कृषि विभाग, केवीके एवं आइआइवीआर की संयुक्त पहल से व्यापक कृषक कल्याण

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वाराणसी: भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के निर्देश एवं कृषि उत्पादन आयुक्त उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश के क्रम में विकसित कृषि संकल्प अभियान (29 मई से 12 जून, 2025) के तहत कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र कल्लीपुर वाराणसी तथा भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की संयुक्त टीमों द्वारा प्रतिदिन 9 ग्राम पंचायतों में व्यापक कृषक जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

विकास खंड बड़ागांव में बहुविभागीय कार्यक्रम

आज शेरवानी, बलुआ महुआरी एवं बसनी गांव में गठित संयुक्त टीम द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया। केवीके वाराणसी के वैज्ञानिक डॉ अमितेश सिंह ने धान की सीधी बुवाई एवं धान की प्रजातियों, धान की नर्सरी में जिंक और आयरन की कमी के लिए जिंक सल्फेट और आयरन सल्फेट के प्रभावी उपायों पर जानकारी दी। उन्होंने हरी खाद के लिए ढैंचा की बुवाई के लाभों पर भी चर्चा की। डॉ. प्रतीक्षा सिंह ने समूह का महत्व एवं सब्जियों तथा फलों के प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन द्वारा आय संवर्धन पर विस्तृत जानकारी दी।

आइआइवीआर के डॉ विद्या सागर ने सब्जियों की उन्नत किस्मों और डॉ. ज्योति देवी ने सब्जियों में कीट-रोग प्रबंधन के बारे में तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया। कृषि विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों का ई-केवाईसी, भूमि अंकन एवं फार्मर रजिस्ट्री की गई।

इसी दिन आइआइवीआर की अन्य टीमों ने हरहुआ और विद्यापीठ ब्लॉक में समानांतर कार्यक्रम आयोजित किए। डॉ. आचुइत सिंह, डॉ. पी. करमाकर और डॉ आशुतोष राय की टीम ने आयार (79 किसान, महिला-23, पुरुष-56), सुलेमानपुर (57 किसान, महिला-20, पुरुष-37) और गोसाईपुर मोहान (74 किसान, महिला-24, पुरुष-50) गांवों में कार्यक्रम आयोजित किए।

डॉ. के.के. पांडेय और डॉ. रामेश्वर सिंह की टीम ने विद्यापीठ ब्लॉक के नकईन (92 किसान, महिला-31, पुरुष-61), अमरा (46 किसान, महिला-15, पुरुष-31) और खैरा (43 किसान, महिला-8, पुरुष-35) गांवों में कुल 391 किसानों तक पहुंच बनाई।

किसानों द्वारा उठाई गई प्रमुख समस्याओं में गुणवत्तापूर्ण बीजों की सीमित पहुंच, भूजल स्तर में गिरावट, नीलगाय-जंगली सूअर से फसल नुकसान, भिंडी में जैसिड, आम में फल छेदक, ककड़ी में माइट, मूली में फ्ली बीटल और धान में खैरा रोग शामिल थीं। वैज्ञानिकों ने खरीफ सब्जियां, प्रत्यक्ष धान बुवाई, खरपतवार प्रबंधन, बहुस्तरीय फसल प्रणाली, पशुपालन, डेयरी तकनीक और बागवानी योजनाओं पर व्यापक जानकारी प्रदान की।

आइआइवीआर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “यह संयुक्त अभियान छोटे और सीमांत किसानों तक आधुनिक कृषि तकनीकों को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बहुविभागीय समन्वय से किसानों की समस्याओं का समग्र समाधान संभव हो रहा है और वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा मिल रहा है।”

बलुआ महुआरी में 25 किसानों को उनके खेत की मिट्टी के नमूने की जांच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में वितरित किए गए। नीलगाय समस्या के समाधान हेतु सोलर आधारित झटका मशीन के उपयोग की अपील की गई। कार्यक्रम में कृषि विभाग से सुरेंद्र कुमार, हृदय नारायण, पशुपालन विभाग से डॉ. सूरज वर्मा, उद्यान विभाग से मूलचंद और फसल बीमा योजना से सूर्य प्रकाश उपस्थित रहे।

Ujala Sanchar
Author: Ujala Sanchar

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