खानपुर। गोमती नदी पर बने करीब छह दशक पुराने रजवाड़ी पुल को तीन माह बंद रखने के बाद हाल ही में खोला गया था, लेकिन महज़ पांच दिन बाद ही पुल के स्लैब में दोबारा दरार पड़ने से आवागमन फिर से आंशिक रूप से रोकना पड़ा।
शनिवार शाम करीब 5 बजे पुल के दो स्लैब को जोड़ने वाले हिस्से में दरार दिखाई दी। इसके बाद प्रशासन ने एहतियातन उस हिस्से को बैरिकेड कर दिया। हालांकि, पुल के अन्य हिस्सों से छोटे वाहन गुजर रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली सरकार बनने के बाद गोरखपुर से वाराणसी तक फोरलेन का निर्माण शुरू हुआ था। जमीन अधिग्रहण के दौरान किसानों को चार गुना मुआवजा भी मिला। लेकिन उद्घाटन से पहले ही इस सड़क और पुल में दरारें दिखने लगीं। मरम्मत के नाम पर करोड़ों की अदायगी भी हुई, लेकिन निर्माण गुणवत्ता पर लगातार सवाल उठते रहे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि रजवाड़ी पुल को केवल डेंटिंग-पेंटिंग कर काम चलाया गया और नया पुल बनाने की बजाय पुराने पुल पर ही दबाव डाला गया। इस बीच कार्यदायी कंपनी की 5 साल की अवधि 19 अक्टूबर को पूरी हो रही है। ऐसे में लोगों में यह चर्चा है कि कंपनी समय पूरा होने के बाद पुल और सड़क को एनएचएआई को हैंडओवर कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती है।
करीब 3 महीने तक बंद रहने के दौरान पुल का कई टीमों और विशेषज्ञों द्वारा निरीक्षण किया गया था, लेकिन किसी ने भी इसे पूरी तरह सुरक्षित नहीं बताया। इसके बावजूद 5 दिन पहले पुल पर आवागमन शुरू कर दिया गया। अब दोबारा दरार आने से प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं।
ब्यूरोचीफ – संजय यादव







