वाराणसी। सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा की तैयारियों ने काशी के घाटों की रौनक बढ़ा दी है। बुधवार सुबह से ही अस्सी घाट पर व्रतधारी महिलाएं पहुंचकर अपने-अपने पूजा स्थलों को सजा-संवारने में जुट गईं। महिलाओं ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ गोबर और मिट्टी से बेदियां (वेदी) तैयार करनी शुरू कीं, ताकि चार दिनों तक चलने वाले इस लोकआस्था के पर्व की शुरुआत विधि-विधान से की जा सके।
भक्ति और उल्लास के इस माहौल के बीच नगर निगम की सफाई व्यवस्था की कमी ने श्रद्धालुओं की परेशानी बढ़ा दी है। घाटों पर जगह-जगह कीचड़, फिसलन और कचरे के ढेर देखे गए। कई महिलाओं ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हर साल छठ से पहले घाटों की सफाई, समतलीकरण और प्रकाश व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस बार तैयारी अधूरी है।
स्थानीय महिला कुसुम देवी ने कहा, “हम सुबह से खुद झाड़ू लगा रहे हैं, मिट्टी ढोकर बेदी बना रहे हैं। नगर निगम की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही। लेकिन छठ माता के व्रत में कोई कमी नहीं रखेंगे।” अन्य महिलाओं ने भी बताया कि अगर वे खुद सफाई और व्यवस्था न संभालें, तो पूजा स्थल तैयार कर पाना मुश्किल होता है।
प्रशासनिक स्तर पर निरीक्षण का दावा किया जा रहा है, मगर श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए व्यवस्थाएं अपर्याप्त बताई जा रही हैं। कई घाटों पर रोशनी और शौचालय जैसी सुविधाओं की भी कमी है।
इसके बावजूद घाटों पर आस्था का माहौल चरम पर है। महिलाएं परिवार के साथ मिलकर अर्घ्य स्थल तैयार कर रही हैं — कोई गोबर-मिट्टी से बेदी बना रही है, तो कोई दीप और सजावट में लगी है।
काशी के घाटों पर इन दिनों आस्था और अव्यवस्था का संगम साफ देखा जा सकता है। श्रद्धालु महिलाएं एक स्वर में कह रही हैं — “व्यवस्था चाहे जैसी हो, छठ माता की पूजा पूरे मनोयोग और भक्ति से करेंगे।”









