
वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में इस बार महाकुंभ की भव्यता अपने चरम पर होगी। महाकुंभ के बाद 13 अखाड़ों का अगला पड़ाव काशी रहेगा। यहां अखाड़ों के महामंडलेश्वर बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करेंगे। सनातन धर्म की धर्मध्वजा को अनंत काल तक फहराने का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
महाशिवरात्रि के अवसर पर 26 फरवरी को काशी की सड़कों पर अखाड़ों की भव्य पेशवाई निकलेगी। गाजे-बाजे, रथ, हाथी और घोड़ों के साथ यह पेशवाई श्री काशी विश्वनाथ धाम और शहर के प्रमुख मार्गों पर होगी। इस दौरान नागा साधुओं के अद्वितीय स्वरूप और वैभव का दर्शन काशी की जनता को होगा। महामंडलेश्वर अपनी-अपनी धर्मध्वजा के साथ पेशवाई का नेतृत्व करेंगे।
पेशवाई में 13 अखाड़ों की भागीदारी
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा और अन्य 13 अखाड़े नागा साधुओं के साथ विधिवत काशी में शामिल होंगे। इन अखाड़ों के साधु-संन्यासी अपने इष्टदेव का आह्वान कर धर्मध्वजा के साथ पेशवाई में भाग लेंगे। महानिर्वाणी, निरंजनी, आनंद, और अटल अखाड़े समेत सभी अखाड़ों के साधु बाबा विश्वनाथ का अभिषेक करेंगे।
गंगा घाटों पर साधुओं का जमावड़ा
महाकुंभ के समापन के बाद जब अखाड़े काशी पहुंचेंगे, तो गंगा घाटों पर साधु-संन्यासियों की विविध छटा देखने को मिलेगी। ये साधु खुले आसमान के नीचे कड़ाके की ठंड में अपने तप और साधना का प्रदर्शन करेंगे। कोई साधु एक पैर पर खड़ा होगा, तो कोई भस्म रमाए अपनी धुनी जलाएगा। नागा साधुओं का ये अद्भुत स्वरूप काशी की परंपराओं और आध्यात्मिकता का जीवंत प्रमाण होगा।
प्रशासन की तैयारियां
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि नागा साधु भगवान शिव की सेना कहे जाते हैं। महाकुंभ के बाद ये साधु बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के लिए काशी आएंगे। जिला प्रशासन ने अखाड़ों की पेशवाई के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। विभिन्न विभागों को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं ताकि इस आयोजन को भव्य और व्यवस्थित बनाया जा सके।

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