वाराणसी: शारदीय नवरात्रि के छठवें दिन देशभर के देवी मंदिरों में मां कात्यायनी की भक्ति और जयकारों से वातावरण गूंज उठा। सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं और मां के दर्शन-पूजन के लिए भारी भीड़ उमड़ी।
मां कात्यायनी की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया। अश्विन कृष्ण चतुर्दशी को अवतरित हुईं मां ने शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक अपने पिता की पूजा स्वीकार की। दशमी के दिन उन्होंने राक्षस महिषासुर का वध कर देवताओं और भक्तों को भयमुक्त किया।
चार भुजाओं वाली सिंहवाहिनी मां कात्यायनी के एक हाथ में वरमुद्रा, दूसरे में अभयमुद्रा, तीसरे में कमल पुष्प और चौथे में खड्ग शोभायमान है। उनका दिव्य स्वरूप भक्तों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
विवाह की बाधाओं का निवारण
स्थानीय मान्यता के अनुसार, मां कात्यायनी की आराधना विशेष रूप से उन कन्याओं के लिए फलदायी होती है जिनके विवाह में विलंब या अड़चनें आ रही हों। भक्तों का विश्वास है कि मां की कृपा से रिश्तों में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
मंदिरों में उमड़ा जनसैलाब
वाराणसी सहित देशभर के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा। खासकर चौक स्थित संकठा मंदिर के पीछे बने मां कात्यायनी मंदिर में भारी भीड़ देखी गई। श्रद्धालुओं ने मंत्रोच्चार, भजन-कीर्तन और आरती के साथ माता की पूजा-अर्चना की।
एक श्रद्धालु ने भावुक होकर बताया, “मां कात्यायनी की कृपा से मेरे जीवन की कई समस्याएं दूर हुई हैं। इसलिए हर साल नवरात्रि में यहां दर्शन के लिए अवश्य आता हूं।”







