
जिले में सोमवार को मनाया गया विश्व टीबी दिवस
मरीजों को पोषण पोटली का वितरण कर किया गया जागरूक- सीएमओ
टीबी हारेगा, देश जीतेगा – आओ मिलकर टीबी मुक्त भारत बनायेंइस अवसर पर टीबी के मरीजों को बांटी गई, 310 पोषण पोटली
जनपद में 6,15,733 लोगों की हो चुकी है टीबी स्क्रीनिंग तथा 9,781 लोगों का हुआ नाट टेस्ट
वाराणसी: विश्व टीबी दिवस हर वर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य क्षय रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को सकारात्मक संदेश देना है। वर्ष 2025 की थीम है–“Yes! We Can End TB : Commit, Invest, Deliver”, यानी हम सब मिलकर इस बीमारी को खत्म कर सकते हैं।

इस अवसर पर एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय, कबीरचौरा में प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक द्वारा तथा हेरिटेज मेडिकल कालेज में जन-जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया और संगोष्ठी का आयोजन किया गया। साथ ही फीडिंग इंडिया संस्था के सौजन्य से विभिन्न चिकित्सा इकाइयों पर मरीजों को 310 पोषण पोटली का वितरण किया गया। इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी।

सीएमओ ने बताया कि विश्व टीबी दिवस के अवसर पर टीबी मरीजों को कुल 310 पोषण पोटली का वितरण किया गया, जिसमें एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय, कबीरचौरा में 35, पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में 35, शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र काशी विद्यापीठ में 35, शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गाकुंड में 35, शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवपुर में 20, ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिशिरपुर में 35, ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोलापुर में 20, ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरहुआ में 35, ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चिरईगांव में 20, ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिंडरा में 20 तथा ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बडागांव में 20, इन सभी प्रयासों से आने वाले समय में लोगों को जागरूक कर जनपद को टीबी मुक्त किया जा सकेगा।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ पीयूष राय ने बताया कि टीबी के मामलों की शीघ्र पहचान और उपचार के लिए, भारत सरकार ने 7 दिसंबर 2024 को ‘100 दिवसीय गहन टीबी उन्मूलन अभियान’ शुरू किया था। इस क्रम में जनपद वाराणसी में 24 मार्च 2025 तक, इस अभियान के तहत जनपद में 6,15,733 लोगों की टीबी स्क्रीनिंग की जा चुकी है तथा 9781 लोगों का नाट टेस्ट हुआ है।
डॉ राय ने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता, या बातचीत करता है तो इन बैक्टीरिया के छोटे-छोटे कण हवा में फैल जाते हैं, ये कण सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे संक्रमण फैल जाता है।

अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह खून या लिंफोटिक सिस्टम के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, इसे एक्सट्रा-पल्मोनरी टीबी कहा जाता है। फेफड़ों के अलावा टीबी मस्तिष्क, हड्डियों और जोड़ों, किडनी और आंतों के साथ हृदय को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए हमें सतर्क रहना चाहिए।

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