
दिवाली 2024 का त्योहार हमारे पूरे भारत में हास्यलस और उत्साह के साथ मनाया जाता है सिर्फ या रोशनी और मिठाइयों का पर्व नहीं होता है बल्कि इसके साथ अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा भी जुड़ा हुआ होता है हर एक राज्य में दिवाली मनाने का तरीका थोड़ा सा लग तो हो सकता है लेकिन सभी का उद्देश्य एक ही होता है घर में खुशी समृद्धि और मां लक्ष्मी का स्वागत करना उत्तर भारत और बिहार में एक खास परंपरा को निभाया जाता है जिसे दरिद्र पीटना भी कहा जाता है इस प्रथा का प्रथम उद्देश्य है घर से गरीबी और दुर्भाग्य को दूर करना होता है ताकि मां लक्ष्मी का आगमन सुख समृद्धि के साथ हो सके।
दरिद्र पीटने की यह जो परंपरा है दिवाली की सुबह-सुबह खास तौर पर महिलाएं इसको निभाते हैं वह घर के कोने कोने में जाकर के टूटे हुए सूप झाड़ू और लोहे के हंसवे जैसी वस्तुओं से दरिद्र को प्रतीकात्मक रूप से पेटी हैं और उसे घर से बाहर निकाल देती हैं। या जो एक परंपरा है वह विश्वास के साथ इस क्रिया से आपके घर में से जो गरीबी है और नकारात्मकता है उसे ऊर्जा को बाहर निकाल कर फेंक दिया जाता है मतलब वह चला जाता है और मां लक्ष्मी का आगमन सुनिश्चित हो जाता है।
दिवाली पर दारिद्र पीटने की परंपरा क्या है?
दिवाली के दिन उत्तर प्रदेश में कई ऐसे हिस्से हैं जहां पर की खासकर बिहार में महिलाएं सुबह-सुबह घर में टूटे-फूटे सुप ,लोहे की जो भी चीज बनी हुई हो या फिर पुराना झाड़ू ही लेकर के दरिद्र मतलब कि गरीबों को अपने घर से बाहर निकलने का काम शुरू कर देते हैं इसमें जितने भी घर की महिलाएं होती हैं हर एक कोने में इस चीज का इस्तेमाल करते हुए दरिद्र को प्रीति है फिर उसके बाद इसे घर से दूर कहीं फेंक कर आ जाते हैं या जो प्रक्रिया है हर घर में होता है धन समृद्धि और मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए तैयार करने का प्रतीक माना जाता है।
दारिद्र पीटने का महत्व
दरिद्र पीटने का यह जो परंपरा है सांकेतिक रूप से आपके घर से जो गरीबी है और नकारात्मक ऊर्जा है उसको बाहर निकलने का काम करती है या माना जाता है कि जब तक घर में दरिद्र मतलब गरीबों का वास होता है तब तक मां लक्ष्मी का प्रवेश हो ही नहीं सकता इसलिए दिवाली के दिन खास तौर पर सुबह के समय पर इस परंपरा का पालन किया जाता है ताकि माता लक्ष्मी का आगमन निश्चित रूप से हो सके।
दरिद्र को भगाने के बाद जितने भी महिलाएं होती हैं वह मंगल गीत गाते आते हैं और इस प्रक्रिया को एक उत्सव की तरह बनती है गीतों के जरिए से वह घर में सुख समृद्धि के लिए कामना करती हैं और मां लक्ष्मी से कृपा की प्रार्थना भी करती हैं।
कैसे निभाई जाती है यह परंपरा?
1. सुबह-सुबह की जाती है शुरुआत
दिवाली की जो सुबह होती है घर के जो बड़े बुजुर्ग महिलाएं होती है वह सबसे पहले दरिद्र को पीटने का काम शुरू कर देती है वह पुराने और बेकार हुए जो भी सूप, झाड़ू या लोहे का जो हसुवा होता है जैसे घरेलू सामान का इस्तेमाल करती हैं यह चीज आमतौर पर घर की सफाई के प्रतीक माना जाता है और इनका जो इस्तेमाल है वह दरिद्र को घर से बाहर भागने में किया जाता है।
2. दारिद्र को बाहर निकालने का काम
महिलाएं जो होती है इन सब चीजों के जरिए से घर के हर एक कोने-कोने में जाकर के दरिद्र को पीटते हुए बाहर निकलती है इस समय वह लगातार यह बोलती रहती है की लक्ष्मी घर आए, दरिद्र बाहर चली जाए यह मंत्र जैसा वाक्य उनके विश्वास को और ज्यादा मजबूत करता है की मां लक्ष्मी की जो कृपा है उनके घर में कभी भी गरीबी का वास नहीं होने देगी।
3. पुरानी वस्त्रों और उपकरणों को घर से दूर फेंकना
इस प्रक्रिया के बाद जितनी भी महिलाएं होती है उन पुराने चीजों को और टूटे-फूटे जो भी समान होते हैं उसको घर से कहीं दूर फेंकते हैं यह सांकेतिक रूप से यह भी दिखता है कि अब घर में केवल समृद्धि का वास होगा और जो भी गरीबी था वह कभी वापस नहीं आएगा इन चीजों को फेंकने के बाद वह लौटी है और मंगल गीत गाते हुए चली जाते हैं।
दारिद्र पीटने की प्रथा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
दरिद्र पीटने की इस प्रथा का महत्व सिर्फ संस्कृत नहीं होता है बल्कि यह धार्मिक भी है हिंदू मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी धन, समृद्धि की देवी कहलाती है दिवाली उनके आगमन और आशीर्वाद का दिन होता है इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए आप लोग अपने-अपने घरों की सफाई करते हैं नए-नए वस्त्र पहनते हैं और विधि पूर्वक उनकी पूजा भी करते हैं दरिद्र को पीट करके भागने का मतलब है की मां लक्ष्मी के स्वागत से पहले आप अपने घर से सभी नकारात्मक और दुर्भाग्यपूर्ण जितने भी चीज होती हैं आप उनको बाहर निकाल कर फेंक दे।
लक्ष्मी पूजन का महत्व
दिवाली का मुख्य आकर्षण होता है लक्ष्मी पूजा इस दिन हम मां लक्ष्मी , भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर का खास पूजा करते हैं मां लक्ष्मी को धन की देवी भी माना जाता है और यह भी माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा से आपके घर में धन, समृद्धि और सुख शांति भी आता है। लक्ष्मी पूजा के समय आपके घर के सभी सदस्य मां लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद को पाने के लिए कामना करते हैं ताकि उनके घर में हमेशा खुशहाली बनी रहे।
वहीं पर भगवान गणेश की पूजा सद्बुद्धि और सफलता के लिए किया जाता है हमारे हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम की शुरुआत हमेशा भगवान गणेश की पूजा के बिना नहीं किया जाता है उनकी पूजा से घर के जितने भी सदस्य हैं उनके जीवन में सही फैसला लेने और सफलता को प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है।
क्यों होती है घर की सफाई और रंग-रोगन?
दिवाली से पहले आप अपने घरों की साफ सफाई और रंग पेंट का खास महत्व रखते हैं ऐसा इसलिए करते हैं ताकि मां लक्ष्मी का आगमन आपके घर में आसानी से हो सके घर को साफ सुथरा और सुंदर बनाने से यह विश्वास किया जा सकता है की देवी लक्ष्मी का ध्यान आकर्षित होगा और आपके घर में वह प्रवेश करेंगे इसके विपरीत गंदगी और अवस्था को दरिद्रता का प्रतीक भी मानते हैं जिससे कि दीपावली से पहले ही हटाना बहुत ही जरूरी होता है।
दारिद्र पीटने की परंपरा के आधुनिक दृष्टिकोण
आज के समय में भी दारिद्र पीटने की जगह परंपरा है उत्तर भारत और बिहार में ऐसे कई हिसार है जहां पर यह परंपरा निभाया जा रहा है हालांकि इस सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी देखा जाता है लेकिन इसका जो प्रथम उद्देश्य है आज भी वही है कि घर से गरीबी और नकारात्मकता को हटाना है और सुख समृद्धि का स्वागत करना है।
आधुनिक जो जीवन शैली है आप लोग इसे पुरानी परंपरा मान सकते हैं लेकिन यह जो प्रथम है आज भी कई घरों में बड़े उत्साह से इसको निभाया जाता है इसके पीछे जो छिपा हुआ संदेश है और भावना है आज भी उतना ही खास है जितना कि सदियों पहले था या जो परंपरा है हमें यह सिखाता है कि घर में समृद्धि और सुख शांति के लिए जरूरी है कि आप नकारात्मकता और दुर्भाग्य को अपने जीवन से हमेशा के लिए दूर कर दे।

Neha Patel is a content and news writer who has been working since 2023. She specializes in writing on religious news and other Indian topics. She also writes excellent articles on society, culture, and current affairs.