
Karva chauth 2024 का त्योहार जितने भी शादीशुदा महिला होती है उनके लिए यह खास महत्व है इस दिन जितने भी महिलाएं होती हैं शादीशुदा वह अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए बिना खाए पिए निर्जला व्रत रखती है करवा चौथ की शुरुआत सुबह के सूर्योदय से पहले होती है जब महिलाएं अपने मायके से आई हुई सरगी को खाती है और फिर व्रत की शुरुआत करते हैं बहुत खास भोजन होता है जिसे सांस अपनी बहू को भेजती है या एक जरूरी परंपरा है जो कि प्यार और आशीर्वाद का प्रतीक है सरगी में पोषक तत्वों से भरपूर खास पदार्थ होते हैं ताकि व्रत के समय शरीर को जितनी ऊर्जा जरूरी है वह मिल सके।
सरगी में मिठाई, फल, मेवे, ड्राई फ्रूट्स, पूरी सब्जी, मिठाई और दूध से बने हुए व्यंजन इसमें शामिल होते हैं। इसे खाने के बाद जितने भी शादीशुदा वाली महिलाएं होती है वह दिन भर निर्जल व्रत को रखती है और चंद्रमा निकलने के बाद उसका दर्शन करने के बाद ही अपने व्रत को खोलती है मायके से जो आया हुआ सरगी होता है वह सिर्फ भोजन के रूप में नहीं देखा जाता है बल्कि यह सास का अपनी बहू के प्रति जिसने और आशीर्वाद है उसका प्रतीक है करवा चौथ पर सरगी खाने का यह जो परंपरा है महिलाओं के लिए नसीब शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत ही जरूरी है।
करवा चौथ 2024: तिथि और व्रत का महत्व
इस साल करवा चौथ 2024 में या व्रत 20 अक्टूबर को रविवार के दिन रखा जाएगा इस दिन जितने भी शादीशुदा वाली महिला है वह सूर्योदय से पहले ही सरगी को खाकर के व्रत की शुरुआत कर देंगे और रात में चंद्रमा को आग देने के बाद ही इस व्रत का पालन करेंगे करवा चौथ का व्रत निर्जला ही रखा जाता है मतलब महिलाएं पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए रहती है इस व्रत की या मानता है कि महिलाएं जो होती है वह अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए इस कठिन व्रत को करती है खास करके जिनकी शादी हो गई होती है उसके बाद पहला करवा चौथ होता है उसे बहुत ही खास मनाया जाता है क्योंकि इस समय मायके से आने वाला जो भी समान होता है उसका खास महत्व है।
करवा चौथ पर मायके से आने वाले सामान का महत्व
करवा चौथ पर जो मायके से मिलने वाला समान होता है वह सिर्फ भौतिक चीज नहीं होता है बल्कि यह सामान एक प्रकार का अपने बेटे के लिए ससुराल में उसके नए जीवन की सुख समृद्धि और उसके रिश्ते को और ज्यादा मजबूत करने का प्रतीक है शादी के बाद पड़ने वाला पहला जो करवा चौथ होता है उसका व्रत खास रूप से मायके वाले और ससुराल पक्ष के लिए बहुत ही खास होता है मायके से जो भी सामान आता है उसका एक सामाजिक और धार्मिक महत्व होता है या समान अपनी बेटी के लिए शुभ मानते हैं और इस व्रत के दिन भेजना बहुत ही पारंपरिक रूप से शुभ संकेत माना गया है।
मायके से आने वाले मुख्य सामान की लिस्ट
करवा चौथ के दिन मायके से कुछ खास चीज भेजा जाता है।
1. फल और मिठाई :
करवा चौथ पर फल और मिठाई मायके से भेजा जाता है यह मिठाई खास रूप से घर पर ही बनाया जाता है और बेटी के ससुराल वालों के लिए शुभ माना जाता है इसके अलावा ताजा फल का भी महत्व इस पर्व में होता है क्योंकि इसे स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं।
2. मठरी और ड्राई फ्रूट्स :
करवा चौथ पर मातृ नमकीन और ड्राई फ्रूट्स मायके से भेजे जाते हैं इन चीजों को व्रत के समय खाने में इस्तेमाल किया जाता है और व्रत पूरा होने पर भी परिवार के सभी सदस्य के साथ इसे बांटा जाता है।
3. साड़ी और कपड़े :
मायके से बेटी और उसके पति के लिए कपड़े भी भेजे जाते हैं खास करके साड़ी जो कि बहुत ही शुभ मानते हैं व्रत के दिन पहनने के लिए दिया जाता है इसके अलावा पति के लिए भी कुर्ता या फिर अन्य वस्त्र भेजा जाता है।
4. सुहाग का सामान :
करवा चौथ पर सुहाग का सामान भी मायके से आता है जिसमें की चूड़ी बिंदी सिंदूर काजल और मेहंदी जैसी चीज होती हैं या समान सुहागन स्त्री के जीवन में समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
5. बर्तन और अन्य घरेलू सामान :
करवा चौथ के दिन मायके से बर्तन और घरेलू सामान जैसे की स्टील या फिर तांबा का बर्तन भी ससुराल में भेजा जाता है यह सामान व्रत के पूजन और पारंपरिक रीति रिवाज को पूरा करने के लिए जरूरी है।
सरगी, बाया और पोइया का महत्व
करवा चौथ के दिन मायके से जो भी आने वाला समान है सरगी, बाया और पोइया का खास महत्व है तो आईए जानते हैं कि इन तीनों चीजों के बारे में।
1. सरगी :
सरगी वह भोजन होता है जो की सास अपनी बहू को व्रत को शुरुआत करने से पहले देती है इसमें फल, मेवा, मिठाई और हल्का-फुल्का नाश्ता होता है जिस की सूर्योदय से पहले सारी बहू ग्रहण कर लेते हैं यह व्रत को शुरू करने का पारंपरिक तरीका है और इसे सास बहू के रिश्ते में भी खास जुड़ाव का प्रतीक मानते हैं।
2. बाया :
बाया वह समान होता है जो की लड़की के मायके से आता है इसमें मिठाई, मेवा, कपड़ा और अन्य पूजा का सामान इसमें शामिल होता है बाय का खास महत्व इसलिए है क्योंकि इससे बेटी के ससुराल में समृद्धि और सुविधा को लाने वाला माना जाता है।
3. पोइया:
पोइया वह होता है जो की बहू अपनी सास को व्रत की पूजा को करने के बाद देती है इसमें सुहाग का सामान जैसे की चूड़ी बिंदी और कपड़ा होता है इसे देने का उद्देश्य यह है की बहू ने अपनी सास के प्रति आदर और सम्मान को दिखाया है।
पहले करवा चौथ का विशेष महत्व
शादी के बाद जो पहले करवा चौथ होता है उसे मृत का खास रूप से मायके और ससुराल वाले दोनों के लिए बहुत जरूरी है मायके से आने वाला जो भी समान होता है बेटी के नए घर में उसका स्वागत करने के लिए और उसके नए जीवन की खुशियों में योगदान करने के रूप में देखा गया है इसमें ना से भौतिक सामान शामिल होता है बल्कि यह पारिवारिक रिश्तों को और सामाजिक ताने-बाने को और भी ज्यादा मजबूत करने का एक तरीका है।
मायके से जो भेजा गया समान है वह शादी के बाद पहली बार करवा चौथ करने वाली जो भी महिलाएं हैं उनके लिए एक तरह से आशीर्वाद के रूप में बताएं इसके पीछे यह भावना होता है की बेटी का वैवाहिक जीवन जो है सुख में रहे और उसके घर में हमेशा सुख समृद्धि और खुशहाली बना रहे।

Neha Patel is a content and news writer who has been working since 2023. She specializes in writing on religious news and other Indian topics. She also writes excellent articles on society, culture, and current affairs.