
सिद्धार्थनगर: रतन सेन महाविद्यालय में मिशन शक्ति कार्यक्रम के अन्तर्गत गुरुवार को भारत की महान वीरांगनाओं के जीवन पर आधारित एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने हमारे देश के स्वाधीनता एवं सामाजिक आंदोलनों में योगदान देने वाली महान वीरांगनाओं क्रांतिज्योति माता सावित्रीबाई फुले, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, फतिमा शेख, अहिल्याबाई होलकर, भीमाबाई सान्याल, टंकीबाई आदि के जीवन पर प्रकाश डाला।

इस गोष्ठी में डॉ. हंसराज कुशवाहा ने अपने वक्तव्य में बताया कि वीरांगना झलकारी बाई के त्याग, बलिदान एवं साहस को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इन्हें दूसरी लक्ष्मीबाई भी कहा जाता है क्योंकि वे रानी लक्ष्मीबाई की हमशक्ल एवं उनके समान ही योग्य एवं युद्ध कौशल में निपुण थीं। सन् 1857 की क्रान्ति के दौरान उन्होंने झाँसी के युद्ध में मह्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। झलकारी बाई ने रानी लक्ष्मीबाई के प्राणों को बचाने के लिए खुद को रानी बताते हुए लड़ने का फैसला किया था।
डाॅ. अरविन्द कुमार मौर्य ने बताया कि दुर्गा भाभी ने हमारे महान क्रान्तिकारियों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर राष्ट्र की स्वाधीनता में अपना मह्त्वपूर्ण योगदान दिया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सन्तोष कुमार सिंह ने एवं संचालन संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. किरन देवी ने किया। इस आयोजन में प्रो. अर्चना मिश्रा, प्रो. मिथिलेश कुमार तिवारी, डॉ. अरविन्द कुमार मौर्य, डाॅ. विकास सिंह, डॉ. मनोज कुमार सोनकर, राजेश शर्मा, प्रवेश दुबे, सभीर सिंह, सुरेश, हरप्रीत, ज्ञानमती आदि उपस्थित रहे।

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