
1. 9 अप्रैल की रैली में निर्णायक संघर्ष का ऐलान होगा
2. पूर्वी क्षेत्र की मीटिंग में उप्र के बिजली कर्मियों को समर्थन मिलेगा
मिर्जापुर: पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन ने बिजली के निजीकरण हेतु जिस प्रकार अवैधानिक प्रक्रिया अपनाते हुए टेक्निकल और इनेंसियल बीड खोली है। उससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है। संघर्ष समिति ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति की धज्जियां उड़ाते हुए निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है जो बहुत ही गंभीर बात है। संघर्ष समिति बिजली पंचायत कर इसे आम जनता के सामने रख रही है।
उधर आज कोलकाता में बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति (नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि बिजली के निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने की चल रही अवैधानिक प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए।
कोलकाता में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की पूर्वी भारत के चार प्रांतों के पदाधिकारियों की बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने की मांग करते हुए यह कहा गया है कि जिस तरह ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट के प्रावधान को हटाया गया है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण में भारी घोटाला होने वाला है।
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की कोलकाता मीटिंग में कोऑर्डिनेशन कमेटी के संयोजक प्रशांत चौधरी, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, सीनियर वाइस चेयरमैन मौपाली मुखोपाध्याय, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के सेक्रेटरी जनरल सुदीप दत्त, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज के बैजनाथ सिंह, ऑल इंडिया पावर मेंस फेडरेशन के अध्यक्ष समर सिन्हा, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के पी के जायसवाल के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार और झारखंड के बिजली कर्मचारियों के सभी संगठनों के अध्यक्ष, महामंत्री और वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद थे।
कोऑर्डिनेशन कमिटी ने एक प्रस्ताव पारित कर उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के संघर्ष को खुला समर्थन देते हुए चेतावनी दी है कि यदि लोकतांत्रिक ढंग से संघर्ष कर रहे उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों का कोई भी उत्पीड़न किया गया तो देश के 27 लाख बिजली कर्मी मूक दर्शक नहीं रहेंगे और आन्दोलन प्रारंभ करने हेतु बाध्य होंगे।
यह भी निर्णय लिया गया की निजीकरण के विरोध में 09 अप्रैल को लखनऊ में हो रही रैली में देश के सभी प्रांतों के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर बड़ी संख्या में सम्मिलित होंगे। संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने आज सहारनपुर और मुजफ्फरनगर में बिजली पंचायत की। सहारनपुर की बिजली पंचायत में सहारनपुर और खारा जल विद्युत परियोजना के बिजली कर्मचारी सम्मिलित हुए और मुजफ्फरनगर की बिजली पंचायत में मुजफ्फरनगर एवं शामली के बिजली कर्मचारी सम्मिलित हुए।
बिजली पंचायत में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि बिजली के निजीकरण की चल रही और वैधानिक प्रक्रिया तत्काल निरस्त न की गई तो बिजली कर्मी निर्णायक संघर्ष का ऐलान करने के लिए बाध्य होंगे। संघर्ष समिति ने बिजली कर्मचारियों का आह्वान किया है कि 09 अप्रैल को लखनऊ में होने वाली विशाल रैली में अधिक से अधिक संख्या में बिजली कर्मचारी लखनऊ पहुंचे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आज राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के समस्त जनपदों में विरोध प्रदर्शन किए गए।
वहीं विरोध सभा में इंजीनियर दीपक सिंह विनीत मिश्रा अंशु कुमार पांडे राजेश कुमार गौतम राम जन्म पृथ्वी पाल बृजेश कुमार राम सिंह पंकज कुमार विनय कुमार गुप्ता अमित सिंह प्रमोद कुमार जितेश कुमार पवन कुमार दीपक कुमार विनोद कुमार सुनील कुमार राकेश कुमार प्रदीप कुमार आदि मौजूद है
रिपोर्ट- बसन्त कुमार गुप्ता

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