वाराणसी: शिशु मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से “सांस (निमोनिया प्रबंधन) अभियान” 12 नवंबर से शुरू होकर 28 फरवरी तक चलेगा। इस अभियान के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया के लक्षण पहचान कर उन्हें उचित चिकित्सा सहायता दी जा रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि निमोनिया के कारण बच्चों में मृत्यु दर लगभग 17.5% है। यह संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस और फंगस से होता है।
उन्होंने धात्री माताओं को नवजात के स्वास्थ्य के लिए जन्म के तुरंत बाद छह माह तक केवल स्तनपान कराने और उसके बाद संतुलित अनुपूरक आहार तथा विटामिन-ए की खुराक देने की सलाह दी। साथ ही, टीकाकरण, स्वच्छता, स्वच्छ पेयजल और घरेलू प्रदूषण से बचाव पर ध्यान देने की अपील की।
आरसीएच कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. एच.सी. मौर्या ने बताया कि अभियान के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में चिकित्सकों व स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया है। आवश्यक दवाइयां और उपकरण उपलब्ध करा दिए गए हैं। अब तक 3,522 बच्चों की जांच की गई, जिनमें से 272 बच्चे निमोनिया से ग्रसित पाए गए। इनमें से 118 बच्चों का इलाज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर किया गया, जबकि 154 को जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
उन्होंने बताया कि निमोनिया का खतरा कम वजन, कुपोषण, स्तनपान में कमी, घरेलू प्रदूषण, खसरा व पीसीवी टीकाकरण की कमी और जन्मजात विकृतियों के कारण बढ़ता है। यह अभियान बच्चों के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।









