वाराणसी: प्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू को काशी में भारी विरोध का सामना करना पड़ा। दरअसल, अपनी पत्नी के निधन के महज तीन दिन बाद मोरारी बापू द्वारा सूतक काल में बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में दर्शन करने और कथा आयोजन को लेकर संत समाज और स्थानीय लोगों में नाराजगी थी।
इस विरोध ने उस वक्त उग्र रूप ले लिया जब काशी के संतों और स्थानीय जनों ने मोरारी बापू का पुतला दहन किया। पूरे शहर में इस विषय को लेकर चर्चा गर्म रही और विरोध प्रदर्शन तेज हो गए।
इस घटनाक्रम के बीच मोरारी बापू ने सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में चल रही अपनी कथा के दौरान माफी मांगते हुए कहा, “काशी के लोग बड़े हैं, हम छोटे लोग हैं। अगर हमने किसी का दिल दुखाया है, तो मैं क्षमा चाहता हूं।”
बापू की इस भावुक क्षमा याचना के बाद मामला कुछ शांत होता दिख रहा है, हालांकि कई संत और सामाजिक संगठन अभी भी इस मुद्दे पर जवाब की मांग कर रहे हैं।
पूरा विवाद इस बात को लेकर है कि धार्मिक परंपराओं और शास्त्रीय मर्यादाओं का पालन न करना समाज में गलत संदेश देता है, विशेषकर जब बात काशी जैसी धर्मनगरी की हो।

Author: Ujala Sanchar
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