
वाराणसी: शहर की ध्वस्त यातायात व्यवस्था का एक अहम कारण बगैर परमिट के ऑटो हैं। आरटीओ की ओर से शहर क्षेत्र के लिए सिर्फ 4750 ऑटो को सिटी परमिट दी गई है। मगर, इससे पांच गुना ज्यादा ऑटो शहर की सड़कों पर रोजाना दौड़ते हैं। इन ऑटो के खिलाफ आरटीओ के स्तर से कभी प्रभावी तरीके से कार्रवाई नहीं की जाती है।
आरटीओ की ओर से शहर के अलावा जिले के पांच अन्य क्षेत्रों में भी ऑटो के संचालन के लिए परमिट दी जाती है। इनमें रामनगर के 4531, राजातालाब के 2911, चौबेपुर के 1324, चोलापुर के 1272 और बाबतपुर के 2025 ऑटो परमिट वाले हैं। इनमें से ज्यादातर ऑटो नियम का उल्लंघन कर शहर क्षेत्र में ही चलते हैं और रोजाना अलग-अलग इलाकों में जाम का कारण बनते हैं।
शहर में चलने वाले देहात और रामनगर परमिट के ऑटो के खिलाफ आरटीओ के अलावा ट्रैफिक पुलिस के स्तर से भी अभियान चलाकर कार्रवाई नहीं की जाती है। लिहाजा जाम की समस्या गहराती ही चली जा रही है। इसके साथ ही कमिश्नरेट के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में पुलिस की मिलीभगत से पहुंच वाले लोग जगह-जगह अवैध ऑटो स्टैंड का संचालन भी करते हैं।
रामनगर और देहात परमिट वाले ऑटो पर लगी हो नीली पट्टी
आरटीओ के नियम के अनुसार, रामनगर और देहात परमिट के ऑटो का रंग इको ग्रीन है। इन ऑटो के आगे और पीछे चार इंच की नीली पट्टी का लगा होना अनिवार्य है। हालांकि न ऐसा होता है और न इसके उल्लंघन में अभियान चला कर कार्रवाई ही की जाती है। इसके चलते रामनगर और देहात परमिट वाले ऑटो भी शहर क्षेत्र में धड़ल्ले से चलते रहते हैं।
ऑटो यूनियन और आरटीओ संग जल्द करेंगे बैठक
एडीसीपी ट्रैफिक राजेश कुमार पांडेय ने कहा कि शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जल्द ही ऑटो यूनियन के पदाधिकारियों और आरटीओ के अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शहर क्षेत्र में सिर्फ सिटी परमिट वाले ऑटो ही चलें। शहर क्षेत्र में सिटी परमिट के अलावा अन्य जो भी ऑटो मिलेंगे, उनके खिलाफ ट्रैफिक पुलिस के स्तर से भी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

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