वाराणसी: निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों का तीन घंटे का व्यापक विरोध प्रदर्शन आज दूसरे दिन भी जारी रहा। संघर्ष समिति ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि प्रबंधन निजीकरण की जिद पर अड़ा हुआ है, हठवादी रवैया अपना रहा है और शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे बिजली कर्मियों पर हड़ताल थोपना चाहता है। संघर्ष समिति ने जोर देकर कहा है कि निजीकरण की आड़ में अरबो रुपए के घोटाले की तैयारी है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि संघर्ष समिति की हड़ताल करने की अभी कोई नोटिस नहीं है किन्तु पावर कारपोरेशन के चेयरमैन, मुख्य सचिव को और शासन के बड़े अधिकारियों को पत्र भेज कर गुमराह कर रहे हैं, कि बिजली कर्मी हड़ताल पर जाने वाले हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि चेयरमैन के पत्र के आधार पर जनपदों में जिला अधिकारियों द्वारा हड़ताल से निपटने की तैयारी के आदेश जारी किए जा रहे हैं जिससे अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बन रहा है।
संघर्ष समिति ने कहा कि झूठा शपथ पत्र देने वाले ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन, जिस पर अमेरिका में पेनल्टी लगाई गई है, पर कार्यवाही करने के बजाय पावर कॉरपोरेशन संविदा कर्मियों की बड़े पैमाने पर छटनी रहा है और टकराव का वातावरण बना रहा है।
संघर्ष समिति ने कहा कि टेंडर मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष के रूप में निदेशक वित्त निधि नारंग का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। नए निदेशक वित्त पुरुषोत्तम अग्रवाल ने निजीकरण में हो रहे बड़े घोटाले को देखते हुए कार्यभार ग्रहण करने से मना कर दिया है। अब निधि नारंग को दूसरी बार कार्य विस्तार दिया जा रहा है क्योंकि निधि नारंग अवैध ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन को क्लीन चिट देने के लिए तैयार हो गए हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव , जो शासन के सबसे बड़े अधिकारी हैं और एनर्जी टास्क फोर्स के अध्यक्ष है, को तत्काल कार्यवाही कर अवैध ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति को रद्द करना चाहिए।
संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे हैं । ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति रद्द कर दी जाए और निजीकरण का निर्णय वापस ले लिया जाए तो बिजली कर्मी कोई आंदोलन नहीं करेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि बिना मूल्यांकन किए एक लाख करोड रुपए से अधिक की पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसंपत्तियों को कुछ हजार करोड़ रुपए में निजी घरानों को बेचने की तैयारी है। 42 जनपदों की सारी जमीन निजी घरानों को मात्र एक रुपए की लीज पर दिए जाने का निर्णय लिया गया है। संघर्ष समिति इसी लूट का विरोध कर रही है।
संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार दूसरे दिन बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने प्रदेश के समस्त जनपदों, परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में अपराह्न 2:00 से शाम 5:00 बजे तक 3 घंटे का व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा। संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण के विरोध में आंदोलन उपभोक्ताओं को साथ में लेकर लड़ा जा रहा है। अतः विरोध प्रदर्शन के कारण से उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो। संघर्ष समिति ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को चेतावनी दी है कि वे उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों को न करें अन्यथा इस भीषण गर्मी में ऊर्जा निगमों में अशांति की पूरी जिम्मेदारी प्रबन्धन की होगी।
वहीं आज वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, आजमगढ़, मिर्जापुर, बस्ती, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, अलीगढ़, एटा, कानपुर, केस्को, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बरेली, देवी पाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सीतापुर , रायबरेली,ओबरा, अनपरा, पिपरी, परीक्षा, हरदुआगंज , जवाहरपुर और पनकी में विरोध प्रदर्शन किया गया।

Author: Ujala Sanchar
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