वाराणसी। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों का आंदोलन 314वें दिन भी जारी रहा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले कर्मचारियों ने वाराणसी में जोरदार प्रदर्शन करते हुए सरकार से पांच साल पहले हुए लिखित समझौते का सम्मान करने और निजीकरण का निर्णय निरस्त करने की मांग की।

प्रदर्शनकारियों ने याद दिलाया कि 6 अक्टूबर 2020 को प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ हुए समझौते में साफ लिखा गया था कि “कर्मचारियों और अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना किसी भी स्थान पर निजीकरण नहीं किया जाएगा।”
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि इस लिखित समझौते का उल्लंघन कर पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण की घोषणा की है, जिससे कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है। संघर्ष समिति ने कहा कि कर्मचारियों ने सुधार के लिए संवाद और सुझाव दोनों दिए, लेकिन प्रबंधन की ओर से अब तक कोई वार्ता नहीं की गई।

बिजलीकर्मियों ने सभी जनपदों में समझौते की प्रतियां लेकर प्रदर्शन किया और नारे लगाए —“समझौते का सम्मान करो, निजीकरण वापस लो।”
सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, कृष्णा सिंह, अंकुर पांडेय, रोहित कुमार, संजय गौतम, सुशांत गौतम, मनोज यादव, प्रवीण कुमार, अरविंद कौशनन्दन, रजनीश श्रीवास्तव, योगेश जायसवाल, मिथिलेश कुमार, बंशीलाल और रमाकांत यादव समेत कई नेताओं ने संबोधित किया।









