
वाराणसी: विश्व एनटीडी (नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज) दिवस के अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज) एनटीडी रोग के लिए इस वर्ष की थीम “Unite Act Eliminate” रखा गया है।
इसके अंतर्गत लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव), कालाजार, कुष्ठ रोग, डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश,रेबीज, लेप्टोस्पारोसिस, ट्रेकोमा, मिट्टी से फ़ैलाने वाले हेल्मेंथियासिस इत्यादि रोगों को शामिल किया गया है, जिनकी रोकथाम संभव है।
उन्होंने बताया कि एनडीटी जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाली बीमारियों का समूह है, जो सबसे अधिक गरीब व कमजोर आबादी को प्रभावित करता है। इन रोगों की रोकथाम संभव है, लेकिन फिर भी इन गंभीर बीमारियों से हर साल लोगों की या तो मौत हो जाती है या फिर वे विकलांग हो जाते हैं।
इसलिए जन-समुदाय को जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है|
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि इस अवसर पर जनपद के सभी ब्लाक सीएचसी एवं पीएचसी पर भी एनटीडी दिवस मनाया गया।
एनटीडी में शामिल बीमारियां वायरस, बैक्टीरिया, पैरासाइट फंगस और टॉक्सिन से होती हैं। जिसमें फाइलेरिया, डेंगू और कालाजार को लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग काफी सतर्क है। उन्होंने बताया कि अक्सर यह देखा जाता है कि इन बीमारियों के प्रति समुदाय जागरूक नहीं है।
ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों को मजबूती देने के लिए अब सभी वर्गों के लोगों की जागरूकता पर जोर दिया जा रहा है| जिससे की बीमारी फ़ैलने से रोका जा सके। इन रोगों में लक्षणों की पहचान बेहद जरूरी है, यदि समय से मरीजों में इन रोगों की पहचान कर उनका इलाज शुरू किया जाए तो वह स्वस्थ हो जाएंगे।
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर किसी मरीज को इन बीमारियों के लक्षण दिखे तो तत्काल अपने क्षेत्र की आशा को इसकी जानकारी दें और सरकारी अस्पताल में दिखाएं, ताकि, समय से इलाज कराकर इन बीमारियों पर काबू पाया जा सके।
बायोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया कि एनटीडी में शामिल ज़्यादातर बीमारियां वायरस, बैक्टीरिया, पैरासाइट, प्रोटोजोआ के कारण होती है और विश्व की गरीब जनसँख्या को ही प्रभावित करती है। जहाँ पर जानकारी का आभाव होता है। अपने घर के आसपास साफ-सफाई से बहुत सारी बीमारियों से बचा जा सकता है।
गोष्ठी में डीएचइआईओ हरिवंश यादव, एआरओ, प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे|

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