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वाराणसी: सेवानिवृत्ति कर्मचारी एवं पेंशनर्स संगठन के कर्मचारियों ने शास्त्री घाट पर शांतिपूर्वक किया प्रदर्शन

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वाराणसी: एमएलसी व पूर्व शिक्षक डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा ने बताया कि आज उ0प्र0 सेवा निवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन, शाखा-वाराणसी तथा शिक्षक महासंघ के बैनर तले शास्त्री घाट, वरुणापुल, कचहरी के पास धरना प्रदर्शन किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार सिविल सेवा नियमावली में संशोधन कर पेंशनरों में विभेद पैदा कर दिया गया है।

धरनारत वक्ताओं ने कहा कि केन्द्रीय सरकार द्वारा 25 मार्च 2025 के लोकसभा में वित्त विधेयक के आड़ में 1 जनवरी 2026 के पूर्व सेवा निवृत्त होने वाले पेंशनरों को वंचित रखने का मनसा साफ प्रकट होता है कि पेंशनर को वर्तमान सरकार भार समझती है जबकि मा० उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश में कहा था कि पेंशन एक अधिकार है यह किसी के दया पर निर्भर नहीं है।

यही पेंशनर अपने जीवन का बहुमूल्य समय देकर देश के विकास की दिशा देने का काम किया। अतएवं धरने में ऐसे अधिनियम जो पेंशनरों में विभेद पैदा करता तथा उनके हितों पर कुठाराघात करता है, उसे वापस लेते हुए सभी पेंशनरों को वेतन आयोग के आने वाले संस्तुति व लाभों को लागू करने की मांग की गयी। धरने पर बैठे हुए पेंशनरों ने प्रान्तीय सरकार द्वारा पेंशनरों को मंहगाई से राहत देने के लिए महंगाई राहत काआदेश जारी न करना पेंशनरों को उपेक्षित रखा गया है।

सरकार द्वारा कर्मचारी का मंहगाई भत्ता पिछले पखवारे में जारी कर दिया गया पर पेंशनरों को अभी तक वंचित रखा गया है. इससे प्रतीत होता है कि कर्मचारी तथा पेंशनर ये भेद कर अपना हित समझ रही है जो एक कल्याणकारी व लोक हितकारी सरकार से ऐसी आशा नहीं की जा सकती है। अतः धरने पर सरकार द्वारा मंहगाई राहत का आदेश तत्काल जारी करने की मांग की गयी।

पेंशनरों के राशिकरण (कम्युटेशन) की कटौती 10 वर्ष के बाद बन्द करने की मांग की गयी, और कहा गया इस संबंध में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश पेंशनरों को दिया गया है, जिससे विचाराधीन पेंशनरों की कटौती बन्द तथा शेष लोगों की कटौती जारी रखा गया है, जो सरकार द्वारा पेंशनरों में विभेद पैदा किया जा रहा है जो शर्मनाक है। अतः यह स्पष्ट किया गया है कि कम्युटेशन/राशिकरण में ब्याज का प्राविधान नहीं है तो सरकार द्वारा पेंशनरों से ब्याज जैसे कटौती क्यों किया जा रहा है ? यह प्रश्न आजतक बना है।

Ujala Sanchar
Author: Ujala Sanchar

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