सोनभद्र: क्षेत्र के सरकारी अस्पताल विंढमगंज में लापरवाही और घूसखोरी का शर्मनाक मामला उजागर हुआ है। हरनाकक्षार निवासी सुनील कुमार पनिका सोमवार सुबह करीब 5 बजे अपनी पत्नी को प्रसव के लिए अस्पताल लेकर पहुँचे, लेकिन परिजनों के आरोपों ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर रख दी है।
परिजनों का कहना है कि अस्पताल में न तो कोई जांच की गई और न ही समय पर इलाज। सुबह करीब 11 बजे डिलीवरी करा दी गई। डिलीवरी के बाद महिला की हालत बिगड़ने पर डॉ. सत्येंद्र प्रसाद और एएनएम कुंती देवी ने लड़के के जन्म की जानकारी देते हुए मरीज को रेफर कर दिया।
परिजनों का गंभीर आरोप
मरीज की सास उर्मिला देवी ने बताया “सुबह 5 बजे बहू को भर्ती किया गया, लेकिन कोई जांच नहीं हुई। डिलीवरी के बाद डॉक्टर और नर्सों ने 500 रुपये और दाई का खर्च मांगा। जब हमने पैसा देने से इनकार किया तो हमें जबरन रेफर कर दिया गया।”
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि रेफर करने के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई। परिजनों को मजबूरी में निजी वाहन से महिला को दुद्धी सीएचसी ले जाना पड़ा, जहाँ फिलहाल उसका इलाज चल रहा है।
ग्रामीणों का आक्रोश
ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। सरकारी अस्पताल का स्टाफ गरीब मरीजों से खुलेआम 500 से 1000 रुपये तक वसूलता है। उनका आरोप है कि अस्पताल भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है, जहाँ न सही इलाज होता है और न ही मरीजों को सम्मान मिलता है।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी डॉक्टर और स्टाफ पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि जब तक ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक गरीब मरीजों का शोषण यूं ही जारी रहेगा।









